मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं और क्या है इसका पौराणिक महत्व
मकर संक्रांति त्योहार विभिन्न नाम और तरीके से मनाया जाता है। जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है,तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। 14 जनवरी ऐसा दिन है, जब धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर दिशा को गमन करने लग जाता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर खराब माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करते लगता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं।
भीष्म पितामाह ने चुना था आज का दिन
यह सभी को ज्ञात है की महाभारत में पितामह भीष्म को ईक्षा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। महाभारत में पितामाह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था। इसका कारण यह था कि उत्तरायण में देह छोड़ने वाली आत्माएं या तो कुछ काल के लिए देवलोक में चली जाती है या पुनर्जन्म के चक्र से उन आत्माओं को छुटकारा मिल जाता है। जबकि दक्षिणायण में देह छोड़ने पर आत्मा को बहुत काल तक अंधकार का सामना करना पड़ सकता है।
मकर संक्रांति क्यों मकर में हुआ सूर्य का प्रवेश
पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है और सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है इसीलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है, जिसे संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है, चाहे इसका नाम व मनाने तरीका कुछ भी हो।
कुंभ राशि में सब कुछ जला हुआ था। उस समय शनि देव के पास तिल के अलावा कुछ नहीं था इसलिए उन्होंने काले तिल से सूर्य देव की पूजा की। शनि की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने शनि को आशीर्वाद दिया कि शनि का दूसरा घर मकर राशि मेरे आने पर धन धान्य से भर जाएगा। तिल के कारण ही शनि को उनका वैभव फिर से प्राप्त हुआ था। इसलिए शनि देव को तिल प्रिय है। इसी समय से मकर संक्राति पर तिल से सूर्य एवं शनि की पूजा का नियम शुरू हुआ।
वैसे तो यह पर्व जनवरी माह की 14 तारीख को मनाया जाता है, लेकिन कभी-कभी यह त्योहार 12, 13 या 15 तारीख को भी मनाया जाता है क्योंकि यह त्योहार पूरी तरह से सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मनाया जाता है और सूर्य सामान्यत: 12, 13, 14 या 15 जनवरी में से किसी एक दिन ही मकर राशि में प्रवेश करता है।
मकर संक्रांति त्योहार विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नाम और तरीके से मनाया जाता है।
- पंजाब ,हरियाणा, दिल्ली : में लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है ।
- उत्तर प्रदेश ,बिहार:लोग गजक और तिल के लड्डू खाते हैं। घी में दाल-चावल की खिचड़ी और चूड़ा दही खाते हैं
- गुजरात और राजस्थान : उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है. पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है.
- आंध्रप्रदेश : संक्रांति के नाम से तीन दिन का पर्व मनाया जाता है.
- तमिलनाडु : किसानों का ये प्रमुख पर्व पोंगल के नाम से मनाया जाता है. घी में दाल-चावल की खिचड़ी पकाई और खिलाई जाती है.
- महाराष्ट्र : लोग गजक और तिल के लड्डू खाते हैं और एक दूसरे को भेंट देकर शुभकामनाएं देते हैं.
- पश्चिम बंगाल : हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है.
- असम : भोगली बिहू के नाम से इस पर्व को मनाया जाता है.
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