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गणेश चतुर्थी और चन्द्रमा की श्राप की कथा। गणेश जी ने क्यों चन्द्रमा को श्रापित किया ?

गणेश चतुर्थी और चन्द्रमा की  शाप की कथा

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। देशभर में धूमधाम से इस दिन गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 22 अगस्त यानी आज है। गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है, इस दिन चंद्र दर्शन करना निषेध बताया जाता है।

आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी के दिन चांद को देखना अशुभ क्यों मानते हैं।दरअसल इसके पीछे गणेशजी का चंद्रमा को दिया हुआ शाप बताया जाता है। यह शाप गणेशजी ने भाद्रमास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को दिया था। इसके पीछे एक कथा है।

कथा के अनुसार, एकबार गणेशजी कहीं से भोजन करके आ रहे थे, तभी उनको रास्ते में चंद्रदेव मिले और उनके बड़े उदर को देखकर हंसने लगे। इससे गणेशजी क्रोधित हो गए और उन्होंने शाप दे दिया कि तुमको अपने रूप पर इतना अंहकार है इसलिए मैं तुमको क्षय होने का शाप देता हूं। गणेशजी के शाप से चंद्रमा और उसका तेज हर दिन क्षय होने लगा और मृत्यु की ओर बढ़ने लगे।

देवताओं ने चंद्रदेव को शिवजी की तपस्या करने को कहा। तब चंद्रदेव ने गुजरात के समुद्रतट पर शिवलिंग बनाकर तपस्या की। चंद्रदेव की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको अपने सिर पर बैठाकर मृत्यु से बचा लिया था। इसी जगह पर भगवान शिव चंद्रमा की प्रार्थना पर ज्योर्तिलिंग रूप में पहली बार प्रकट हुए थे और सोमनाथ कहलाए गए थे।

चंद्रदेव ने अपने अंहकार की भगवान गणेश से क्षमा मांगी। तब गणेशजी ने उनको क्षमा कर दिया और कहा कि मैं इस शाप को खत्म तो नहीं कर सकता है लेकिन आप हर दिन क्षय होंगे और 15 दिन बाद फिर बढ़ने लगेंगे और पूर्ण हो जाएंगे। अबसे आपको हर दिन लोग देख सकेंगे लेकिन भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन जो भी आपके दर्शन करेगा, उसको झूठा कलंक लगेगा।

बिहार की कुछ जगहों पर इस चतुर्थी को चौठ चंद्र यानी चतुर्थी चंद्र के रूप में मनाया जाता है। कहीं-कहीं लोग इस दिन चांद की ओर पत्थर भी फेंकते हैं इसलिए इसको पत्थर चौक के नाम से भी जाना जाता है। वहीं अगर आप इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना चाहते हैं तब आप हाथ में फल, मिठाई या दही लेकर ही चंद्र के दर्शन करें, इससे चंद्रदर्शन का अशुभ फल प्राप्त नहीं होगा।

इसके पीछे तर्क दिया जा सकता है कि कोई भी अपने आंतरिक गुणों के कारण ही मान सम्मान पाता है, बाहर की खूबसूरती के कारण नहीं। गणेश जी चंद्रमा से ज्यादा गुणवान थे इसके बावजूद अपनी खूबसूरती से मदांध हो चंद्रमा ने उनका उपहास किया। लेकिन उसका यह गुण उसके किसी काम न आ सका और वह अपने कड़वे स्वभाव के कारण दुनिया के कलंकित बन गया।
ganesh chaturthi

विष्णु पुराण में एक कथा है कि श्रीकृष्ण ने एकबार चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख लिया था तो उन पर स्यमंतक मणि की चोरी का आरोप भी लगा था।

आशा है आप सभी बाहर की ख़ूबसूरती के साथ-साथ अंदर की यानि मन की  ख़ूबसूरती पर ध्यान देंगे। 

ॐ गं गणपतये नमः प्रथम पूज्य

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