सावन 2021
सावन इस बार 25 जुलाई से शुरू होगा और 22 अगस्त रविवार को सावन महीने का समापन होगा।सावन 2021 में इस बार कुल 4 सोमवार होंगे। श्रद्धालुओं को इस बार चार सोमवार का व्रत रखना होगा।
सावन का पहला सोमवार : 26 जुलाई, 2021
सावन का दूसरा सोमवार : 2 अगस्त, 2021
सावन का तीसरा सोमवार : 9 अगस्त, 2021
सावन का चौथा सोमवार : 16 अगस्त, 2021
सावन पूजा- विधि
पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें -
'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमवार व्रतं करिष्ये'
- प्रातः उठ कर स्नान करें उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- सर्वप्रथम गणेश जी प्रथम पूज्य है उनको को जल चढ़ाएं चढ़ाएं।
- उसके बाद शिव जी का जलाभिषेक करें, गंगा जल और दूध चढ़ाएं।
- भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
- भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- भगवान शिव की आरती करें और भोग लगाएं।
सावन 2021 संपूर्ण पूजा विधि
पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें -
'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमवार व्रतं करिष्ये'
इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें -
'ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समंतात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥
तत पश्चात गणेश जी का ध्यान करें या उनको जल चढ़ाएं उसके बाद शिवजी का गंगा जल से, दूध से, शहद से, घी से और दही से अभिषेक करें। उसके बाद बेलपत्र, फूल, फल, भांग, धतूरा चढ़ाकर ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहें। प्रसाद और भोग अर्पित करें। शिव चालीसा का पाठ करें और शिवजी की आरती करके पूजा का समापन करें।अगर आप चाहते है तो दान भी करें।
दोनों पक्षों में दो-दो सोमवार होंगे
कृष्ण पक्ष में द्वितीया की हानि होने से अशून्य शयन व्रत रविवार 25 जुलाई को ही रहा जाएगा। सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए इस व्रत में श्री लक्ष्मी जी को श्री विष्णु जी के गोद में शयन कराके दोनों की पूजा शाम को करने का विधान है। श्रावण शुक्ल पक्ष सप्तमी को स्वाति नक्षत्र रहने से अन्न सस्ता होगा और उपज अच्छी होने का संकेत है। सावन की पूर्णिमा का व्रत शनिवार 21 अगस्त को रहा जाएगा । रविवार 22 अगस्त को रक्षाबन्धन तथा ब्राह्मणों का वार्षिक पर्व श्रावणी मनाया जाएगा।
देवशयनी एकादशी 2021 : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से विश्राम करते हैं। इस एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद भगवान विष्णु कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर जागते हैं। इस साल भगवान विष्णु 118 दिनों तक विश्राम करेंगे। भगवान विष्णु के विश्राम करने से सभी तरह के मांगलिक कार्य रुक जाते हैं। इस अवधि को चातुर्मास भी कहा जाता है।
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