नवरात्री में कौन सा पाठ पढ़ना चाहिए | Navratri ke paath

आज से नवरात्र प्रारम्भ हो रहा है। वनारस हिंदी विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य के अनुसार हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है, जिसमें 9 दिनों तक देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।पूरे देश में नवरात्रि का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। कुछ लोग तो मां की आराधना करने के लिए पूरे 9 दिनों का उपवास रखते हैं।                                        

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'मां' इस एक शब्द को बोलने मात्र से समस्त समस्याओं का समाधान होता है । माँ दुर्गा जो सारे संसार के दुखों का नाश करती है ,जिनको देवो के देव महादेव शिव का आशीर्वाद प्राप्त है और जो खुद महादेव का ही अंश है वो देवी शक्ति को नमस्कार है। 

नवरात्री में कौन सा पाठ पढ़ना चाहिए 

वैसे तो बहुत सारे पंडित और अन्य websites आपको  कुछ पाठ करने के सलाह देंगे। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है ,पूर्ण लाभ के लिए आपको दुर्गा सप्तशती का पूर्ण पाठ करना चाहिए। अगर आपको भूक लगी हो तो ,तो क्या आपका पेट आधे प्लेट खाने से भर जाएगा? वैसे ही आधे पाठ करने से संपूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती है। दुर्गा माता का आशीर्वाद तो हमेशा उनके भक्तो पर  बना रहता है लेकिन जो उनके हर एक स्वरूपों को विधि विधान से पूजते है वह उन्हें अधिक प्रिये है।  

नवरात्री में कौन सा पाठ पढ़ना चाहिए | Navratri ke paath .

आपको दुर्गा सप्तशती के तेरह पाठों में अलग अलग बाधाओं के निवारण के लिए उपाय दिए गए हैं। 

पहले अध्याय का पाठ करने से समस्त प्रकार की चिताओं का नाश हो जाता है। 

दूसरे अध्याय को करने से अदालती दिक्कतों में सफलता प्राप्त होती है।

तीसरे अध्याय से शत्रु बाधा से छुटकारा मिलता है।

चौथे अध्याया को पढ़ने से शक्ति मिलती है। 

पांचवे अध्याय को करने से आध्यात्म की शक्ति प्राप्त होती है। 

छठे अध्याय को करने से मन में बसे डर का नाश हो जाता है।

सातवें अध्याय के पाठ से इच्छाओं की प्राप्ति होती है। 

मिलाप और वशीकरण के लिए आठवें अध्याय का पाठ महत्वपूर्ण है।

नौवे अध्याय का पाठ गुम हुए व्यक्ति की तलाश में फलदायी होता है। 

दसवे अध्याय का पाठ भी गुम हुए व्यक्ति की तलाश के लिए किया जाता है।

ग्यारहवें अध्याय का पाठ कारोबार में वृद्धि के लिए किया जाता है। 

बारहवें अध्याय का पाठ धन लाभ और मान सम्मान की प्राप्ति के लिए किया जाता है। तेरहवे अध्याय का पाठ अध्यात्म में सिद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

यह ग्रंथ अपने प्रत्येक पृष्ठ पर तंत्र सम्मत गुह्य बीज मंत्रों को समेटे है। यह पवित्र ग्रंथ मार्कण्डेय पुराण का एक महत्वूर्ण भाग है। संस्कृत में सप्तशती के पाठ का एक विशेष स्थान है। भगवती का यह सप्तशती ग्रंथ शुद्ध हिंदी में है, इसलिए इसके पाठ में सिर्फ भावना का महत्व है। 

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