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आइए पढ़ते हैं कि वेदों में पशु हत्या के बारे में क्या कहा गया है

हिंदुओं में बहुत अधिक गलत धारणाएं हैं कि वे अपनी इच्छा के अनुसार मांस खा सकते हैं।
लोग केवल यह कहते हैं कि वे हिंदू धर्म के अनुयायी हैं और वे अधिकांश नियमों का पालन करते हैं।

हिन्दू धर्म के मूल सिद्धांतों को भूलकर लोग "पंडित और एस्ट्रोलॉजर" की बातों में आकर हंदु धर्म को भूल गए हैं। हिन्दू धर्म  ग्रंथो में  कभी भी मांस खाने को प्रोत्साहन नहीं दिया गया है | मैं इस ब्लॉग के माध्यम से चाहूंगा  की लोग यह जाने की हमारे धर्म क्या कहते हैं। हिन्दू धर्म में सभी जीवों को बराबर का महत्व दिया गया गया है। 


नई पीढ़ी सिर्फ पश्चिमी संस्कृति को अपनाने की कोशिश कर रही है, और इस वजह से वे वास्तविक आनंद खो रहे हैं| बहुत लोग अपने अपने अनुसार इस दिशा में काम कर रहे हैं लेकिन कोई भी समाज के हर वर्ग तक ये बात नहीं पहुँच पाता | कुछ प्रसिद्द गुरु अपने विचारो को अंतर्राष्ट्रीय स्तरों अपना बात रखते  हैं पैर वेद के सन्दर्भ में वो कभी भी अपनी बात नहीं रखते | स्वामी  वेवकानन्द  के उपरांत वेद का  उस स्तर से प्रचार -प्रसार नहीं किया  गया |

अगर आप सभी को सनातन धर्म का पालन करना है को पूर्ण रूप से करें नहीं तो सनातनी केवल कहने के लिए नहीं बने। 

यजुर्वेद के महावाक्य में एक बहुत ही अच्छी बात कही गयी है : "अहं ब्रह्मस्मि "

“अहं ब्रह्मस्मि” (मैं ब्रह्म हूँ ) अर्थात अपने अंदर परमात्मा को अनुभव करता हूँ। मेरे अंदर ब्रह्मांड की सारी शक्तियां निहित है मैं ब्रह्मा का अंश हूँ।ध्यान रहे ब्रम्हा मतलब ब्रम्हा भगवान् जी नहीं  बल्कि  ब्राह्मण से है(जो अदृश्य है  इस गोपनीय तथ्य का वरण करके यदि मनुष्य अपने जीवन के परम स्थिति का अनुभव कर लें तो उसका जीवन सफलता पूर्वक निर्वाह हो जायेगा।

अहं ब्रह्मस्मि का भावार्थ – जिस प्रकार एक हिरन अपने अंदर छुपे कस्तूरी की खुशबू को इधर उधर ढूढता है मगर कस्तूरी तो उसके ही अंदर मौजूद होता है। मैं भी हिरन की भांति अपने अंदर छिपे परमात्मा को इधर उधर ढूंढता फिरता है मगर वह परमात्मा तो मेरी आत्मा में वास करता है। 

वेद में स्पश्ट कहा गया है की पशुओ की जान लेना  वर्जित है |

 अथर्वेद 6.140.2 में कहा गया है :




 यजुर्वेद 11:83 में कहा गया है 


         यजुर्वेद 13:48 में कहा गया है 
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 यजुर्वेद 6.11  में कहा गया है 


 यजुर्वेद 14 :8 में कहा गया है 


 यजुर्वेद  1 :1  में कहा गया है 


और भी वेद में कई जगह यह उल्लेख किया गया है की मांस खाना और पशु हत्या वर्जित है |
शास्त्र प्रमाण है की हमें पशुओ को रक्षा करने का आदेष दिया गया है न की उनके  प्राण लेने का |

हमें आशा है की आपलोग वेदो की प्रतिष्ठा का मान रखेंगे |

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