भगवान शिव के जीवन से सिख

भगवान शिव के जीवन से सिख

हिंदू धर्म के देवी देवताओं की कथाओं को पढ़ने से हमें जीवन के कई सूत्र या यूं कहें मैनेजमेंट के गुण मिलते हैं। लेकिन  आज हम भगवान शिव के उन सूत्रों की बात करते हैं, जो जीवन में अति आवश्यक हैं और जिनकी मदद से हर कोई अपना जीवन सफल बना सकता है।

महादेव जिनको हम सभी भोलेनाथ भी कहते है जिनकी पूजा विधि सबसे सरल है। उनके जीवन और वस्तुएँ से हमें सिखने को बहुत कुछ मिलता है। जितने सरल शिव हैं, उतना ही विकट उनका स्वरूप है, जिसका कोई मेल ही नहीं है। गले में सर्प, कानों में बिच्छू के कुंडल, तन पर बाघंबर, सिर पर त्रिनेत्र, हाथों में डमरू, त्रिशूल और वाहन नंदी। भगवान शिव के इस अद्भुत स्वरूप से हमें कई बातें सीखने को मिलती हैं। 

कुल मिलाकर यह कहें कि यदि आपको जीने की कला सीखनी हो तो आप भगवान शिव के दर्शन को अपने जीवन में उतार सकते हैं। शिव, बुराई और अज्ञानता के साथ ही अहंकार को नष्ट करने की सीख देते हैं। उनके पवित्र शरीर पर स्थित हर पवित्र चिह्न जीवन जीने की शैली के लिए कुछ न कुछ सीख देता है। 

भगवान् शिव से सम्बंधित वस्तु एवं कथाओ से सिख 

विष : पूरी दुनिया को श्रेय और कामयाबी का लालच है और हर कोई जीत का श्रेय पाना चाहता है, लेकिन शिव हमें सिखाते हैं कि टीम लीडर को जीत से पहले मुसीबत की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। प्रोफेशनल लाइफ हो या पर्सनल टीम का मुखिया हमेशा सबसे आगे जिम्मेदारी लेने के लिए खड़ा होता है। समुद्र मंथन की कथा हमें यही संदेश देती है। जब विष निकला तब शिव आगे आकर उसका सामना करने की जिम्मेदारी लेते हैं, लेकिन जब अमृत निकलता है, तो वे पहले देवताओं को देते हैं।

तीसरी आँख  :भोलेनाथ की तीसरी आंख, जिंदगी में आने वाली हर समस्या के पहलुओं पर ग़ौर करने की सीख देती है। कभी-कभी जो हम देखते हैं, वो गलत भी हो सकता है इसलिए हमें इसकी जांच अपने विवेक के जरिए करनी चाहिए।

नीलकंठ: वहीं शंकर जी का नीला कंठ (नीली गर्दन) क्रोध को पीने की सीख देती है। कहा भी जाता है क्रोध बुद्धि को नष्ट कर देता है। यह एक चुनौती की तरह आता है जिसे आप अपने धैर्य से अपनी वाणी से बाहर न आने दें।

चन्द्रमा :चन्द्रमा से हमें शीतल रहने का ज्ञान प्राप्त होता है। पूरे ब्रह्माण्ड में चन्द्रमा से अलौकिक और सुन्दर कुछ नहीं है , और उस अति सुन्दर चन्द्रमा को भी धारण शिव जी ने कभी  घमंड नहीं किया। 

जटा : इसके अलावा भगवान शिव के केश, एकता के प्रतीक हैं। उनके केश जूड़े के रूप में एकजुट रहते हैं। जो कि जीवन में एकता का पाठ पढ़ाते हैं।

त्रिशूल: शंकर जी का त्रिशूल जो पूरे ब्रम्हांड में सबसे विनाशकारी  सस्त्र है जिसके उपयोग से बुराई एवं अंधकार का नाश होता है और हर जगह प्रकाशमय और सुख-समृद्धि  फ़िर से जागृत  हो जाती है ।

गंगा माता से सिख : शिव जी  के सिर पर गंगाजी का होना यह शिक्ष प्रदान करता है की ,आप हमेशा शांत रहे और अपने हर काम को  शीतल और पवित्र मन से करें। गंगा माता जैसी पवित्रता और शीतलता की कल्पना भी कोई नहीं कर सकता। 

कमंडल : शिव जी कमण्डल हमें यह शिख देता है की आप कितने भी बड़े ज्ञानी हो मगर ज्ञान जहाँ से भी प्राप्त हो ग्रहण करें। जिस प्रकार शंकर जी के शीश पर स्वयं  विराजमान है फिर भी वह कमंडल अपने पास रखते थे। 

भभूत : भोलेनाथ के शरीर पर स्थित भभूत, शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। ठीक इसी तरह जिंदगी में हमें किसी तरह का भ्रम नहीं होना चाहिए। ऐसे में हमारे शरीर का तापमान क्रोध जैसे अन्य मानसिक विकारों में नहीं आएगा। वह नियंत्रित रहेगा। हमें जीवन में जुनून और प्रतिबद्धता अपनानी चाहिए। ऐसे में हम हर समस्या का हल जल्द ही निकाल सकते हैं। 

डमरू : वहीं शिव जी  का डमरू कहता है की ज्ञान से सजी आपकी ध्वनि हो और कोई भी व्यक्ति उस ज्ञान रूपी आवाज़  को सुने तो मंत्रमुघ्ध हो जाए। भगवान् की आरती हो या उनका सन्देश हर किसी को  कि अपने शरीर को डमरू की ध्वनि की तरह मुक्त कर दो। इससे सारी इच्छाएं, मुक्त हो जाएंगी। इस तरह हम कई मनोविकारों से भी मुक्त हो सकते हैं।

छाल :छाल सादगी का प्रतीक है। आप किसी अन्य भगवान् के जिंदगी और रहन सहन स्मरण कीजिये इंद्रदेव से लेकर ब्रम्हा जी सभी लोग सुख का भोग करते थे  लेकिन भगवान् शिव जो देवो के देव हैं ,सर्वशक्तिषाली ,नीलकंठ जिन्हे आदि पुरुष भी कहा जाता है अगर वह चाहे तो किसी भी प्रकार से अपने आप को सुसज्जित कर सकते थे ,आलिशान महल ,जेवर ,अस्त्र-सस्त्र परन्तु उन्होने ने सादगी भरा जिंदगी जिया। 

सांप: भोलेनाथ के गले में सुशोभित सांप पशुप्रेम दर्शाता है। सांप से ज्यादा विषैला और डरावना जीव शायद ही कोई और हो और हमारे भोलेनाथ ने उस सांप से भी अपने योग गुण से  मित्रता की और उसे अपने गले में सुसज्जित किया। तो अगर आप योगाभ्यास के साथ ध्यान करें तो किसी के साथ भी विनम्रता के साथ पेश आ सकते है।अच्छे योग ससंथान या  ईशा फाउंडेशन में इसका अभ्यास करवाया जाता है।  

रिश्तो की समझ 

दक्ष जो महादेव के ससुर थे ,उन्होने महादेव को कभी अपना रिश्तेदार माना ही नहीं ,हर पल वह महादेव को अपशब्द बोलते रह्ते थे।दक्ष महादेव को भरी सभा में अपमानित करते थे किन्तु महादेव ने उनको कभी भी उनको अपशब्द नहीं कहा , सर्व शक्तिमान महादेव चाहते तो दक्ष को  उनकी गलतियों की कोई भी सजा दे सकते थे ,उन्हें मार सकते थे ,या उन्हें बघिर बना सकते थे ,पर एक तो उन्होने ब्रह्मा जी के पुत्र को सम्मान दिया और दूसरा उन्होने दामाद होने का  हर फ़र्ज़ निभाया। 

कामदेव कथा :शिव की एक कथा कामदेव को भस्म करने की भी है, जब वे शिव की साधना में विघ्न डालने की कोशिश करते हैं।यह कथा हमें सिखाती है, कि जब लक्ष्य सामने हो तो कोई भी लालच या मुश्किल आपके रास्ते की बाधा नहीं बननी चाहिए। खुद के और अपने लक्ष्य के बीच किसी भी स्थिति को ना आने दें। खुद को मंजिल के लिए इतना मजबूत करें, कि कोई भी आपके रास्ते की बाधा ना बन सकें।

प्रकृति की शरण

जीवन में जितनी जरूरी कामयाबी है उतनी ही जरूरी शांति भी है, शिव दिखावों से दूर सादा जीवन जीते हैं। प्रकृति के नजदीक रहते हैं और यही बात उन्हें दूसरे सभी देवी-देवताओं से अलग बनाती है। शिव का रूप संदेश देता है, कि हमेशा जीवन की भागदौड़ में ही ना लगे रहें, बल्कि समय निकाल कर प्रकृति की शरण में जायें। ताकि आपको हमेशा सकारात्मक ऊर्जा मिलती रहे।

भगवान शिव की ध्यान अवस्था स्वच्छता का प्रतीक मानी गई है। ध्यान करने से हर मनुष्य अपने मन और मस्तिष्क को स्वस्थ्य और स्वच्छ रख सकता है। इसके अलावा भगवान शिव सदैव ही एकांत एवं निर्जन स्थान पर एकाग्र भाव से तपश्चर्या और ध्यान में लीन रहते हैं। इससे व्यक्ति सांसारिक भावों से दूर हो जाता है। इसके कारण संसारजनित विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद एवं अहंकार से मुक्ति मिलती है।

धैर्य रखें और हमेशा शांत रहें

माँ काली कथा : शिव की चर्चित कथाओं में मां काली की कथा भी है, जब सभी देवता मिलकर भी काली का क्रोध शांत नहीं कर सके, तब शिव ने ही उनके क्रोध को शांत किया था। यह कथा सिखाती है, कि हालात कोई भी हो अगर आप मन से शांत रहें, धैर्य रखें तो मुश्किल से मुश्किल हालात पर भी जीत हासिल कर सकते हैं।

किसी से भेद नहीं करें

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शिव अकेले ऐसे देवता हैं, जिनका सम्मान देवता और राक्षस दोनों समान रूप से करते हैं। यानि सब उनकी बात मानतें हैं। वहीं वे भी इनमें भेद नहीं करते हैं और कर्म आधारित फल प्रदान करते हैं। अपने व्यक्त्वि को ऐसा बनायें कि सब जगह आपकी स्वीकारिता हो। जब आप कोई बात करें, तो वो इतनी सही हो कि, पक्ष के साथ विपक्ष के लोग भी उसे नकार ना सकें।

भगवान शिव के जीवन से सिख
तो ये थो शिव जी से सम्बंधित वस्तु एवं कथाओ से सिख। आशा है की आप सभी शिव जी के गुणों का पालन करेंगे।  

हर हर महादेव 

Read Articles related to Lord Shiva

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है

Post a Comment

0 Comments