अनंत चतुर्दशी पर क्यों बांधते हैं 14 गांठों का धागा, जानिए विधि-महत्व, और भूल कर भी न करें ये काम

अनंत चतुर्दशी भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इसी दिन भगवान गणेश की विदाई भी होती है। साथ ही इसी दिन अनंत चतुर्दशी का व्रत भी रखा जाता है और इस दिन अनंत भगवान की पूजा की जाती है। भविष्य पुराण में इस व्रत की महिमा का वर्णन है।

इस बार 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी की तिथि पड़ रही है। मान्यता है कि अनंत भगवान की पूजा करने और व्रत रखने से हमारे सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन संकटों से सबकी रक्षा करने वाला अनंतसूत्र बांधा जाता है, इससे सभी कष्टों का निवारण होता है। ये 12 घंटे, 24 घंटे और एक साल के लिए होता है।

14 गांठों का धागा बाँधने  रहस्य 

कथा के अनुसार ऋषि दंपतियों के पश्चाताप के दिनों में एक दिन अनंत भगवान प्रकट हो कर बोले, “हे कौंडिकौंन्य! तुम्हें स्मरण है कि तुमने मेरा अपमान किया था, जिस कारण तुम्हें अब कष्टों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन अब तुमने पश्चाताप कर लिया है अब मैं तुमसे प्रसन्न हूं, जाओ, जाकर विधिपूर्वकअनंत व्रत करो। अपने जीवन में 14 वर्षों तक व्रत करने से तुम्हारा समस्त दुख दूर हो जाएगा। सुशीला ने १४ गांठो का धागा बाँध कर यह व्रत शुरू किया था। तो इसीलिए १४ गांठो महत्व है। 

अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि

• इस दिन सुबह स्नानादि के बाद भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें और अनंत सूत्र को बांधते समय इस मंत्र(अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वा सुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।) का जाप जरूर करें।कलश की स्थापना कि जाती है जिसमे कमल का फूल रखते हैं और कुशा का सूत्र अर्पित किया जाता है।

•अर्पित किया जाता है।भगवान एवं कलश को कुमकुम, हल्दी का तिलक लगाया जाता है। कुशा सूत्र को हल्दी से रंगा जाता है।

• अनंत देव का आवाहन कर दूप दीप एवं नैवेद्य का भोग लगाया जाता है। इस दिन खीर पूरी का भोग लगाने कि परम्परा है।

•उसके पश्चात सभी के हाथों में रक्षा सूत्र बांधा जाता है।इस दिन कच्चे धागों से बने 14 गांठ वाले धागे को बाजू में बांधने का विशेष महत्व है। इससे शेषनाग पर शयन करने वाले भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है।

• कच्चे सूत से बना यह धागा चमत्कारी होता है यदि इसे विधि विधान से बांधा जाए। यह धागा पूरे साल पुरुषों की दाहिनी कलाई और महिलाओं की बायीं कलाई पर रहना चाहिए। यदि आप ऐसा करने में सफल हो जाता हैं तो जीवन की तमाम समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है और घर धन धान्य से भरा रहता है।

पूजन के बाद अनंत सूत्र को अपनी बाजू पर बांध लें। पुरुष अपने दाएं हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ पर इस रक्षा सूत्र को बांधे। ऐसा करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें।

अनंत चतुर्दशी का धागा बांधने के बाद ना करें ये काम

•अनंत धागा बांधने के बाद आपको मांसाहार नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इस धागे का निरादर नहीं करना चाहिए। मांसाहार का सेवन ऐसे भी नहीं करना चाहिए ज्यादा जानकारी के लिए  पढ़ें मांस क्यों नहीं खाना चाहिए 

•कम से कम 14 दिन बांधने के बाद उसका किसी नदी में विसर्जन करना चाहिए। इसे पूरे साल बांधते हैं तो भगवान विष्णु की अनंत कृपा मिलती है। अपमान करने पर पाप के भागी होते हैं

•व्रत के धागा के बाद सात्विक जीवन का पालन करना चाहिए । किसी की चुगली और मजाक नहीं उड़ाना चाहिए । और ना किसी को कम आंकना चाहिए।

अनंत चतुर्दशी पर क्यों बांधते हैं 14 गांठों का धागा


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