भगवान जगन्नाथ मंदिर के रहस्य जिन्हें देखकर आज के वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हैं।
भगवान जगन्नाथ मंदिर के रहस्य मंदिर में ही छिपे हुए हैं आइए उन रहस्यों के बारे में विस्तार से जानते है-
1. पहला है सुदर्शन चक्र | जगन्नाथ मंदिर का रहस्य
जगन्नाथ मंदिर के सबसे शिखर पर भगवान नारायण का सुदर्शन चक्र मौजूद है। यह चक्र अस्ट धातु से निर्मित है इस चक्र को नीलचक्र भी कहा जाता है और ये इस तरह से निर्माण किया गया है कि इसको पुरी के किसी भी कोने से देखा जा सकता है। आप किसी भी दिशा से इस चक्र को देख्नेगे तो आपको ऐसा लगेगा कि इस चक्र का मुह आपकी ही तरफ है।
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2.जगन्नाथ मंदिर का रहस्य का दूसरा रहस्य , शिखर पर स्थित ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दशा में लहराता है।
जगन्नाथ मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य ये है कि मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वज हवा के हमेशा विपरीत दशा में लहराता है। ऐसा क्यों होता है इसका पता आज तक नहीं चल पाया है। ऊपर शिखर पर स्थित ध्वज का एक और रहस्य यह भी है कि मंदिर के पुजारी के द्वारा इस ध्वज को हर रोज 45 मंजिला उल्टा चढ़कर बदला जाता और ऐसी मान्यता है कि अगर किसी दिन भूलवश ध्वज नहीं बदला गया तो मंदिर अगले 18 वर्षों तक बंद कर दिया जाएगा। यह जगन्नाथ मंदिर का रहस्य है जिसका उत्तर किसी के पास नहीं है।
3. विश्व की सबसे बड़ी रसोई | जगन्नाथ मंदिर का रहस्य
श्री जगन्नाथ मंदिर में स्थित रसोई विश्व की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है। जगन्नाथ मंदिर का रहस्यों में से यह भी एक रहस्यमय बिंदु है। रसोई में हर दिन 500 के करीब रसोइए और 300 के आस पास सहयोगी भोजन बनाते हैं। प्रसाद बनाने के लिए एक के ऊपर एक 7 बरतनों को रखा जाता है और आपको जानकर हैरानी होगी जो पात्र सबसे ऊपर रखा होता है उसमें भोजन सबसे पहले बनता है और फिर उसके नीचे वाले पात्र में बनता है और जिस पात्र में सबसे ज्यादा आंच पड़ रही है यानी कि सबसे नीचे उसमें सबसे बाद में भोजन बनकर तैयार होता है।
इस मंदिर की रसोई में बना प्रसाद कभी भी कम नहीं पड़ता है यहां कितनें भी श्रद्धालु आ जाये लेकिन कभी भी यहां प्रसाद कम नहीं होता है। यहा पर रोजाना 20-30 हजार लोगों को प्रसाद मिलता ही है इनकी संख्या चाहे लाखों तक भी बढ़ जाये पर कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि प्रसाद कम हुआ हो।
4. जगन्नाथ मंदिर के गुबंद पर नहीं बैठते है पक्षी
मंदिर व मस्जिदों के गुंबदों पर आमतौर पर पक्षियों के झुंड देखे जा सकते है। परतुं यहां पर जगंन्नाथ मंदिर के गुबंदों पर आपकों एक भी पक्षी नहीं दिखेगा। इस मंदिर के ऊपर इर्द-गिर्द भी नहीं उड़ते है पक्षी, यहां तक की इसके ऊपर कोई हवाई जहाज या हेलिकॉप्टर भी नहीं उड़ते। यह भी एक जगन्नाथ मंदिर का रहस्य अद्भुत रहस्य है।
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5. जगन्नाथ मंदिर की छाया नहीं बनती है। जगन्नाथ मंदिर का रहस्य
यह दुनिया सबसे ऊंचा और सुन्दर मंदिर है इसकी उंचाई लगभग 214 फीट है और यह 4 लाख वर्ग फुट तक फैला भव्य मंदिर है आश्चर्य की बात यह है कि इस मंदिर के गुबंद की छाया दिन के समय में कभी भी नहीं बनती है।
6. यह मंदिर समुंद्र तट के निकट स्थित है
इस मंदिर की एक विचित्र बात यह है कि मंदिर समुंद्र तट के निकट होने के बावजूद मंदिर में प्रवेश में करते के साथ ही समुंद्र की लहरों की आवाज सुनाई नहीं देती है। एक बार जब आप अपने कदम इसके सिंह द्वार में प्रवेश करेंगे तो देखेंगे कि समुंद्र की लहरों की आवाज गायब हो जाती है और जैसे ही इस द्वार से बाहर निकलोगे तो आवाज फिर दुबारा आने लगेगी, है ना! कितनी आश्चर्य की बात
7. जगन्नाथ पुरी मंदिर में चलती है विपरीत दिशा में हवा
समुंद्री के तटिय क्षेत्रो में हवा लहरों की दिशा में चलती है यानि हवा समुंद्र से जमीन की ओर चलती है। विज्ञान के नियम के अनुसार भी ऐसा ही होना चाहिये। परंतु यहा उड़िसा के पुरी में हवा जमीन से समुंद्र की ओर चलती है।
8. मुर्तियों का निर्माण दुबारा किया जाता है
हर बारह साल में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की काष्ठ (लकड़ी के लट्ठे) की मुर्तियों का निर्माण दुबारा किया जाता है और उनको पहली बनी मुर्तियों के साथ बदल दिया जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि नई मुर्तिया बनने के बावजूद इनका स्वरूप, आकार, रंग-रुप, लंबाई चौड़ाई सब-कुछ एक जैसा ही रहता है।
9. जगन्नाथ पुरी मंदिर के ब्रह्म पदार्थ का रहस्य
इस प्रक्रिया में भगवान जगन्नाथ व अन्य मूर्तियों को जब बारह वर्ष बाद बदला जाता है और पूरे शहर में अंधेरा कर दिया जाता है पूरे शहर की बिजली बंद की दी जाती है। मंदिर में अंधेरा कर दिया जाता है मंदिर की सुरक्षा चारों तरफ से पुख्ता की जाती है इसके पश्चात एक गुप्त अनुष्ठान नवकलेवर करवाया जाता है और चुंनिदा पुजारियों की आंखों पर रेशम की पट्टिया बांधकर मंदिर में भेजा जाता है इन मुर्तियों में से एक प्रकार का ब्रह्म पदार्थ निकाला जाता है जिसको आजतक किसी ने भी नहीं देखा है उसको नई मुर्तियों में सावधानी पूर्वक स्थापित कर दिया जाता है।
कहा जाता है कि इस पदार्थ में इतनी ऊर्जा है कि इसको देखने वाला व्यक्ति अंधा हो सकता है और मर भी सकता है वैसे किसी ने उसे आजतक देखा नहीं है सदियों से यह प्रक्रिया चली आ रही है।
दिव्य ब्रह्म पदार्थ को स्थानांतरित करने वाले पुजारियों के अनुभव की माने तो उन्हें लगता है कि मानों कोई वे किसी जीवित चीज को हाथ में ले रहे है वह पदार्थ किसी खरगोश की तरह फुदकता रहता है। कोई कहता है कि यह अष्टधातु से बना कोई दिव्य पदार्थ है और हिंदु धर्म में इसे भगवान श्रीकृष्ण का हद्य भी माना गया है।
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