सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | Siddha Kunjika Stotram in Hindi

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | Siddha Kunjika Stotram PDF in Hindi

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र रुद्रयामल तंत्र के गौरी तंत्र भाग से लिया गया है। सिद्ध कुंजिका का पाठ पूरी दुर्गा सप्तशती के पाठ के बराबर है।  इस पोस्ट में हम आपसे सिद्ध कुंजिका स्तोत्र शेयर कर रहे हैं। यह दुर्गा माता का बहुत ही प्रभावशाली स्तोत्र है। इस स्त्रोत्र के पाठ से  जीवन में आ रही समस्या का अंत हो जाता है। राम रक्षा स्तोत्र और नारायण कवच की तरह यह स्तोत्र भी सपूर्ण रूप से आपकी रक्षा करता है। मन में भक्ति के साथ आप सभी इसका पाठ करें।  सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ पूरी दुर्गा सप्तशती के पाठ के बराबर है। केवल सिद्ध कुंजिका  स्तोत्र   के पाठ से दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है। यह सिद्ध कुंजिका स्तोत्र अत्यन्त गुप्त और देवों के लिए भी दुर्लभ है।

 सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | Siddha Kunjika Stotra in Hindi

सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम ऐसे शुरू होता है। 

भगवान् शिव जी पार्वती जी से कहते हैं ! 

शिव जी बोले-

देवी !सुनो। मैं उत्तम सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का उपदेश प्रदान करूँगा, जिस मन्त्र के प्रभाव से देवी का पाठ सफल होता है ।।१।।

कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास यहाँ तक कि अर्चन भी आवश्यक नहीं है ।।२।।

केवल कुंजिका के पाठ से दुर्गापाठ का फल प्राप्त हो जाता है। ( यह कुंजिका) अत्यंत गुप्त और देवों के लिए भी दुर्लभ है ।।३।।

हे पार्वती !  स्वयोनि की भांति प्रयत्नपूर्वक गुप्त रखना चाहिए। यह उत्तम कुंजिकास्तोत्र केवल पाठ के द्वारा मारण, मोहन, वशीकरण, स्तम्भन और उच्चाटन आदि उद्देश्यों को सिद्ध करता है ।।४।।

मन्त्र -ॐ  ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। 

ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल, ज्वलप्रज्वल प्रज्वल, ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ।। 

हे रुद्ररूपिणी ! तुम्हे नमस्कार। हे मधु दैत्य को मारने वाली ! तुम्हे नमस्कार है। कैटभविनाशिनी को नमस्कार। महिषासुर को मारने वाली देवी ! तुम्हे नमस्कार है ।।१।

शुम्भ का हनन करने वाली और निशुम्भ को मारने वाली ! तुम्हे नमस्कार है ।।२।।

हे महादेवी ! मेरे जप को जाग्रत और सिद्ध करो। 'ऐंका ऐं र' के रूप में  सृष्टिरूपिणी, 'ह्रीं' ह्रीं के रूप में सृष्टि का पालन करने वाली ।।३।।

क्लीं के रूप में कामरूपिणी ( तथा अखिल ब्रह्माण्ड ) की बीजरूपिणी देवी ! तुम्हे नमस्कार है। चामुंडा के रूप में तुम चण्डविनाशिनी और 'यैकार' के रूप में वर देने वाली हो ।।४।।

'विच्चे' रूप में तुम नित्य ही अभय देती हो। ( इस प्रकार ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ) तुम इस मन्त्र का स्वरुप हो ।।५।।

'धां धीं धूं' के रूप में धूर्जटी ( शिव ) की तुम पत्नी हो। 'वां वीं वूं' के रूप में तुम वाणी की अधीश्वरी हो। 'क्रां क्रीं क्रूं' के रूप में कालिकादेवी, 'शां शीं शूं' के रूप में मेरा कल्याण करो ।।६।।

'हुं हुं हुंकार' स्वरूपिणी, 'जं जं जं' जम्भनादिनी, 'भ्रां भ्रीं भ्रूं' के रूप में हे

कल्याणकारिणी भैरवी भवानी ! तुम्हे बार बार प्रणाम ।।७।।

'अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं' इन सबको तोड़ो और दीप्त करो, करो स्वाहा। 'पां पीं पूं' के रूप में तुम पार्वती पूर्णा हो। 'खां खीं खूं' के रूप में तुम खेचरी (आकाशचारिणी ) अथवा खेचरी मुद्रा हो।।८।।

'सां सीं सूं' स्वरूपिणी सप्तशती देवी के मन्त्र को मेरे लिए सिद्ध करो। 

यह सिद्ध कुंजिका स्तोत्र मन्त्र को जगाने के लिए है। इसे भक्तिहीन पुरुष को नहीं देना चाहिए। हे पार्वती ! इस मन्त्र को गुप्त रखो। हे देवी ! जो बिना सिद्ध कुंजिका के सप्तशती का पाठ करता है उसे उसीप्रकार सिद्धि नहीं मिलती जिस प्रकार वन में रोना निरर्थक होता है।

( इस प्रकार श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में शिव पार्वती संवाद में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र सम्पूर्ण हुआ )

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने के बाद किसी और हवन या पूजा की आवश्यकता नहीं होती है। 

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | Siddha kunjika stotram lyrics in Sanskrit 

शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्।

येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥1॥

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।

न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥2॥

कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।

अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥3॥

गोपनीयं प्रयत्‍‌नेनस्वयोनिरिव पार्वति।

मारणं मोहनं वश्यंस्तम्भनोच्चाटनादिकम्।

पाठमात्रेण संसिद्ध्येत्कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥4॥

॥ अथ मन्त्रः ॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लींचामुण्डायै विच्चे॥

ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालयज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वलहं सं लं क्षं फट् स्वाहा॥

॥ इति मन्त्रः ॥

नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥1॥

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि।

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे॥2॥

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते॥3॥

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥4॥

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्‍‌नी वां वीं वूं वागधीश्‍वरी।

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥5॥

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥6॥

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं।

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥7॥

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥8॥

इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रंमन्त्रजागर्तिहेतवे।

अभक्ते नैव दातव्यंगोपितं रक्ष पार्वति॥

यस्तु कुञ्जिकाया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।

न तस्य जायतेसिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥

॥ इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र  विधि | Siddha Kunjika Stotram Paath 

1.इस स्तोत्र का पाठ आप कभी भी कर सकते है। 
2.सिद्ध कुंजिका पाठ करते समय शुद्धता रखें।
3.नवरात्री के अवसर पर अगर आप दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते तो केवल सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र का पाठ करें ,ऐसा करने से आपको दुर्गा सप्तशती पाठ के बराबर फल प्राप्त होगा।  
4.पाठ के पहले मनोकामना का संकल्प ले तब पाठ आरम्भ करें। 
5.आस्था के साथ Siddha Kunjika Stotram का पाठ करने से भक्त की सारी मनोकामना पूरी होगी।

Siddha Kunjika Stotram in Hindi

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के फायदे | Siddha kunjika stotram benefits

1.इस स्तोत्र का पाठ आप कभी भी कर सकते है। ऐसा माना जाता है कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम का पाठ देवी चंडी के दिव्य आशीर्वाद और सुरक्षा का आह्वान करता है। ऐसा कहा जाता है कि यह भक्तों के चारों ओर आध्यात्मिक सुरक्षा का एक कवच बनाता है, जो उन्हें नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी ताकतों से बचाता है।
2.सिद्ध कुंजिका पाठ करते समय शुद्धता रखें। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को ईमानदारी और भक्ति के साथ पढ़ने से, व्यक्तियों को आध्यात्मिक शुद्धि की भावना का अनुभव हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह मन, शरीर और आत्मा को अशुद्धियों, पापों और नकारात्मक कर्मों से मुक्त करता है, जिससे आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति मिलती है।
3.नवरात्री के अवसर पर अगर आप दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते तो केवल सिद्ध कुंजिका  
   स्त्रोत्र का पाठ करें ,ऐसा करने से आपको दुर्गा सप्तशती पाठ के बराबर फल प्राप्त होगा।  

Siddha kunjika stotram benefits |  सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

4.ऐसा माना जाता है कि देवी चंडी, शक्ति और साहस का अवतार होने के नाते, भक्तों को अनुग्रह और  लचीलेपन के साथ कठिनाइयों और बाधाओं से निपटने में मदद करती हैं।
5.इसके आध्यात्मिक लाभों के अलावा, कुछ लोगों का मानना ​​है कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम के जाप से  शारीरिक और मानसिक कल्याण को भी बढ़ावा दे सकता है। ऐसा माना जाता है कि स्तोत्र के माध्यम से आह्वान की गई दिव्य ऊर्जा शरीर, मन और आत्मा में उपचार और संतुलन लाती है।
6 . ऐसा कहा जाता है कि  सिद्ध कुंजिका स्तोत्र  भक्तों के दिलों में सशक्तिकरण और साहस की भावना पैदा करता है। देवी चंडी की दिव्य ऊर्जा का आह्वान करके, व्यक्ति स्वयं को जीवन की चुनौतियों का डटकर सामना करने के लिए आत्मविश्वास, निडरता और दृढ़ संकल्प से भर सकता है।

This is also called Siddha Kunjika Mantra.

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | Siddha Kunjika Stotram hindi  PDF Download

Siddha Kunjika Stotram PDF in Hindi          Download
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र PDF                                  Download           
Siddha Kunjika Stotram Geeta Press              Download
If the download link of सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | Siddha Kunjika Stotram Pdf
does not work then please let us know in the comment section.

Articles Related To Siddha Kunjika Stotram in Hindi( सिद्ध कुंजिका स्तोत्र )

Post a Comment

0 Comments