शांति मंत्र |अर्थ, भावार्थ और आध्यात्मिक महत्व

 शांति मंत्र वैदिक काल से चले आ रहे ऐसे पवित्र मंत्र हैं, जो सम्पूर्ण सृष्टि में शांति, संतुलन और सद्भाव की कामना करते हैं। इन मंत्रों का जाप मानसिक, आध्यात्मिक और पर्यावरणीय शांति हेतु किया जाता है।

शांति मंत्र न केवल आध्यात्मिक साधना का अंग हैं, बल्कि ये समस्त ब्रह्मांड के कल्याण की प्रार्थना भी हैं। इनमें आकाश, पृथ्वी, जल, औषधि, वनस्पति, देवता और ब्रह्म तक — प्रत्येक तत्व में शांति की स्थापना की कामना की गई है। शांति मंत्र यह सिखाते हैं कि जब हमारे भीतर शांति होगी, तभी बाह्य जगत में भी शांति सम्भव है।

शांति मंत्र वैदिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग हैं, जो न केवल आध्यात्मिक शांति का आह्वान करते हैं, बल्कि समस्त सृष्टि में संतुलन और सामंजस्य की भावना को भी प्रकट करते हैं। इन मंत्रों में से एक प्रमुख मंत्र है — "ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः..." — जिसे "ॐ द्यौः शान्तिः" शांति मंत्र कहा जाता है। यह मंत्र यजुर्वेद से लिया गया है और इसका उद्देश्य सम्पूर्ण ब्रह्मांड में शांति की स्थापना करना है।


Shanti Mantra Lyrics | मंत्र का पाठ

ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः
पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः ।
वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः
सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥


शब्दार्थ और भावार्थ | Shanti mantra Meaning

  1. द्यौः शान्तिः – आकाश में शांति हो।

  2. अन्तरिक्षं शान्तिः – मध्य आकाश (अंतरिक्ष) में शांति हो।

  3. पृथिवी शान्तिः – पृथ्वी पर शांति हो।

  4. आपः शान्तिः – जल में शांति हो।

  5. ओषधयः शान्तिः – औषधियों (वनस्पतियों) में शांति हो।

  6. वनस्पतयः शान्तिः – वृक्षों में शांति हो।

  7. विश्वेदेवाः शान्तिः – सभी देवताओं में शांति हो।

  8. ब्रह्म शान्तिः – ब्रह्म (परमात्मा) में शांति हो।

  9. सर्वं शान्तिः – संपूर्ण सृष्टि में शांति हो।

  10. शान्तिरेव शान्तिः – शांति ही शांति हो।

  11. सा मा शान्तिरेधि – वह शांति मुझमें समाहित हो।

  12. ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः – ॐ, शांति, शांति, शांति।


Shanti Mantra in hindi | संस्कृत में अर्थ सहित

"हे ईश्वर! आकाश में शांति हो, आकाश के बीच में शांति हो, पृथ्वी पर शांति हो, जल में शांति हो, औषधियों में शांति हो, वृक्षों में शांति हो, समस्त देवताओं में शांति हो, ब्रह्म में शांति हो। समस्त जगत में शांति हो। हर ओर केवल शांति ही शांति हो। वह शांति मुझमें प्रविष्ट हो जाए। हे ईश्वर! शांति... शांति... शांति हो।"

आध्यात्मिक और दार्शनिक महत्व:

यह मंत्र केवल बाह्य शांति की कामना नहीं करता, बल्कि आंतरिक शांति की भी प्रार्थना करता है। यह दर्शाता है कि जब तक हमारे भीतर शांति नहीं होगी, तब तक बाह्य शांति संभव नहीं है। इसलिए, यह मंत्र हमें आत्मनिरीक्षण और आत्मशुद्धि की प्रेरणा देता है।

                                              शांति मंत्र


पर्यावरणीय सन्देश:

इस मंत्र में जल, औषधि, वृक्ष, और पृथ्वी की शांति की कामना की गई है, जो हमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। यह हमें सिखाता है कि प्रकृति के प्रत्येक तत्व में शांति स्थापित करना आवश्यक है, तभी समग्र शांति संभव है।


उपसंहार:

"ॐ द्यौः शान्तिः" शांति मंत्र हमें यह सिखाता है कि शांति केवल एक व्यक्तिगत अनुभव नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक और सार्वभौमिक स्थिति है। जब हम इस मंत्र का जाप करते हैं, तो हम न केवल अपने लिए, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि के लिए शांति की कामना करते हैं। यह मंत्र हमें आत्मिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय स्तर पर संतुलन और सामंजस्य की ओर प्रेरित करता है।


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