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भारत के राक्षसी शहर | भगवान शिव -विष्णु चौंकाने वाले राज़

भारत के ये 5 शहर राक्षसों के नाम पर! पौराणिक कथाओं से जुड़ी रोचक कहानियां जो आपको हैरान कर देंगी

क्या आप जानते हैं? भारत ,एक ऐसा जादुई देश जहां हर कोने में इतिहास की परतें छिपी हैं। प्राचीन मंदिरों से लेकर चमचमाती हाई-राइज बिल्डिंग्स तक, यहां की हर सांस में देवताओं, ऋषियों और... हां, राक्षसों की कहानियां बसी हैं! कल्पना कीजिए: आज के व्यस्त शहरों के नाम कभी डरावने असुरों के नाम पर रखे गए थे। जी हां, ये कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि हमारी पौराणिक कथाओं का हिस्सा है। आइए, इन रहस्यमयी कहानियों में और जानें कि कैसे ये राक्षसी नाम आज भी इन शहरों की पहचान बन चुके हैं।

1. जालंधर: शिव के क्रोध से जन्मा अमर राक्षस

पंजाब का ये औद्योगिक हब, जहां फैक्टरियां धुंआ उगलती हैं और बाजारों में रौनक छाई रहती है, कभी एक राक्षस की शक्ति का प्रतीक था। पौराणिक कथा कहती है कि जालंधर भगवान शिव के तीव्र क्रोध से उत्पन्न हुआ। अपनी अपार ताकत से वो देवताओं को ललकारता था, लेकिन असली ताकत तो उसकी पत्नी वृंदा के पतिव्रत धर्म में थी – इतनी कि भगवान विष्णु भी उसे छू नहीं पा रहे थे! अंत में, छल से वृंदा का सतीत्व भंग हुआ, जालंधर कमजोर पड़ा और शिव ने उसका संहार कर दिया। आज का जालंधर: एक जीवंत शहर जो कृषि से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक फैला है। अगली बार यहां घूमें, तो वृंदा के पतिव्रत की याद दिला देगा ये नाम!

2. गया: असुर जिसकी तपस्या ने देवताओं को कांपा दिया

बिहार का पवित्र तीर्थस्थल गया – जहां हर साल लाखों श्रद्धालु पिंडदान के लिए उमड़ते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, इसका नाम 'गयासुर' नामक एक भयानक असुर से जुड़ा है? कथा वर्णन करती है कि गयासुर ने कठोर तपस्या से ऐसी शक्ति हासिल की कि वो स्वर्ग और पृथ्वी दोनों को पवित्र कर सकता था। देवता डर गए! भगवान विष्णु ने चालाकी से उसके शरीर पर पैर रखा, उसे स्थिर कर दिया और यही जगह 'गया' बन गई। आज का गया शहर ,श्राद्ध और मोक्ष का द्वार है । विष्णुपद मंदिर में खड़े होकर सोचिए – ये जमीन कभी एक राक्षस की तपस्या का गवाह थी!

राक्षसी शहर:


3. पलवल: बलराम का बदला, राक्षस का अंत

हरियाणा का तेजी से बढ़ता शहर पलवल, जो कभी 'पलंबपुर' कहलाता था। इसका नाम राक्षस पलंबासुर (या लंबासुर) से आया, जो इलाके में आतंक का पर्याय था। लोग थर-थर कांपते थे उसके नाम से! लेकिन भगवान कृष्ण के भाई बलराम ने हल से उसका वध किया और लोगों को आजादी दिलाई। उसी राक्षस के नाम पर 'पलवल' का जन्म हुआ। आज का पलवल: दिल्ली-एनसीआर का हिस्सा, जहां मेट्रो और बाजार जीवन को रफ्तार देते हैं। बलराम की वीरता की कहानी यहां की हवा में महकती है!

4. तिरुचिरापल्ली (ट्रिची): शिव की तपस्या का वरदान

तमिलनाडु का सांस्कृतिक रत्न तिरुचिरापल्ली, जिसे ट्रिची भी कहते हैं, राक्षस थिरिसिरन की भक्ति से जुड़ा है। थिरिसिरन ने शिव की कठोर तपस्या की, जो इतनी प्रबल थी कि स्वयं महादेव प्रकट हुए और वरदान दिया। प्राचीन नाम 'थिरि-सिकरपुरम' धीरे-धीरे तिरुचिरापल्ली बन गया। आज का ट्रिची: रॉकफोर्ट मंदिर और कावेरी नदी के किनारे बसा ये शहर शिक्षा और इतिहास का खजाना है। थिरिसिरन की भक्ति आपको मंदिरों की सीढ़ियां चढ़ते वक्त प्रेरित करेगी!

5. मैसूर (मैसुरु): महिषासुर का शहर, देवी का विजय स्थल

कर्नाटक का राजसी शहर मैसूर – दशहरा उत्सव और रेशमी साड़ियों का घर। लेकिन इसका मूल नाम महिषासुर से आया, वो राक्षस जिसने देवताओं को त्रस्त कर रखा था। देवी चामुंडेश्वरी ने भयंकर युद्ध में उसका वध किया, और जगह का नाम 'महिषा-ऊरु' (महिषासुर का शहर) पड़ा, जो बाद में मैसूर हो गया। 2014 में आधिकारिक तौर पर मैसुरु। आज का मैसुरु: पैलेस और चॉकलेट फैक्ट्री से भरा ये शहर, नवरात्रि में रंग-बिरंगे उत्सवों से जगमगाता है। महिषासुर की हार की याद में देवी की आराधना यहां का दिल है!

अंत में एक सोचने वाली बात: राक्षसों के नाम आज भी इन शहरों को अनोखा बनाते हैं – नकारात्मकता से ऊपर उठकर प्रेरणा का स्रोत!

अगली बार इनमें से किसी शहर का प्लान बनाएं, तो इन पौराणिक रहस्यों को साथ ले जाना। आपको कौन सी कहानी सबसे ज्यादा रोमांचित करने वाली लगी? कमेंट में बताएं और इस पोस्ट को शेयर करें ताकि दोस्त भी इन राक्षसी राज़ों से रूबरू हों!

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